अध्याय 33. जी उठा

लूका 24: 1 – 12

1 परन्तु सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर को वे उन सुगन्धित वस्तुओं को जो उन्होंने तैयार की थी, लेकर कब्र पर आईं।

2 और उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया,

3 और भीतर जाकर प्रभु यीशु का शव न पाया।

4 जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तब, दो पुरुष झलकते वस्त्र पहने हुए उनके पास आ खड़े हुए।

5 जब वे डर गईं, और धरती की ओर मुँह झुकाए रहीं; तो उन्होंने उनसे कहा, “तुम जीविते को मरे हुओं में क्यों ढूँढ़ती हो? (प्रका. 1:18, मर. 16:5-6)

6 वह यहाँ नहीं, परन्तु जी उठा है। स्मरण करो कि उसने गलील में रहते हुए तुम से कहा था,

7 ‘अवश्य है, कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ में पकड़वाया जाए, और क्रूस पर चढ़ाया जाए, और तीसरे दिन जी उठे’।”

8 तब उसकी बातें उनको स्मरण आईं,

9 और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और अन्य सब को, ये सब बातें कह सुनाई।

10 जिन्होंने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उनके साथ की अन्य स्त्रियाँ भी थीं।

11 परन्तु उनकी बातें उन्हें कहानी के समान लगी और उन्होंने उन पर विश्वास नहीं किया।

12 तब पतरस उठकर कब्र पर दौड़ा गया, और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे, और जो हुआ था, उससे अचम्भा करता हुआ, अपने घर चला गया।


मरियम मगदलीनी, योअन्ना और कुछ अन्य महिलाओं ने यीशु और उनके बारह शिष्यों के साथ यात्रा की (लूका 8:1-3; 24:10)। उन्होंने मसीह को तीसरे दिन क्या होगा यह बताते हुए सुना था (24:6-7), परन्तु जब वे कब्र की ओर बढ़ रहे थे, तो उन्हें कुछ भी असामान्य होने की उम्मीद नहीं थी। उनकी यात्रा प्रेम से प्रेरित थी, परन्तु विश्वास से रहित। मसीह में उनका जो भी विश्वास था वह क्रूस की पीड़ा से अभिभूत हो गया था। विश्वास खत्म हो गया था; जो कुछ बचा था वह प्यार था।

जब स्त्रियाँ पहुँचीं, तो उन्होंने देखा कि कब्र के सामने का पत्थर हटा हुआ है, और अंदर जाकर उन्हेंने बड़े ही आश्चर्यजनक रूप से पाया कि कब्र खाली थी। ध्यान दें कि महिलाओं ने यह निष्कर्ष नहीं निकाला कि यीशु मृतकों में से जी उठे थे। वे “हैरान” होकर कब्र से बाहर निकले और स्पष्टीकरण के लिए पूरी तरह से भटक गए (लूका 24:4)।

ऐसा नहीं था कि मरियम को शव गायब मिला और उसने कहा, “मुझे लगता है कि यीशु मृतकों में से जी उठे होंगे,” और योअन्ना ने उत्तर दिया, “मुझे लगता है कि तुम सही हो। मुझे भी ऐसा ही लगता है।” यह ख्याल उनके दिमाग में आया ही नहीं।

तो उन्हें कैसे पता चला कि यीशु जी उठे थे? परमेश्वर ने उनसे कहा।

परमेश्वर स्पष्टीकरण देते हैं

“जब वे इस बात से भौचक्‍की हो रही थीं तो देखो, दो पुरुष झलकते वस्त्र पहिने हुए उनके पास आ खड़े हुए। जब वे डर गईं और धरती की ओर मुँह झुकाए रहीं तो उन्होंने उनसे कहा, “तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूँढ़ती हो? वह यहाँ नहीं,परन्तु जी उठा है” (24:4-6)।

परमेश्वर ने दो स्वर्गदूतों को बुलाया और कहा, “जाओ और उन्हें बताओ कि मैंने क्या किया है। ये महिलाएं मेरे पुत्र से प्रेम करती हैं, परन्तु वे कभी भी नहीं समझ पाएंगी कि असल मे क्या हुआ है। जाओ और उन्हें बताओ।”

ईसाई धर्म परमेश्वर ने जो किया है उसके स्पष्टीकरण पर विश्वास करने पर आधारित है।

हमारे परमेश्वर की माँ मरियम जब गर्भवती हुई तो उन्हें कैसे पता चलता कि क्या हो रहा था? परमेश्वर ने स्पष्टीकरण दिया। चरवाहों के साथ भी ऐसा ही हुआ। वे संभवतः कैसे जान सकते थे कि चरनी में पड़ा बच्चा मानव शरीर में परमेश्वर था? परमेश्वर ने उन्हें बताने के लिए स्वर्गदूतों को भेजा।

और यह वैसा ही था जब यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था। कई लोगों ने उन्हें मरते हुए देखा, परन्तु वे कैसे समझ सकते थे कि परमेश्वर क्या कर रहे थे? परमेश्वर हमें बताते हैं कि, क्रूस पर, मसीह ने हमारे पापों को सहन किया और बलिदान के रूप में अपना जीवन त्याग दिया।

महिलाएं कभी नहीं समझ पाती कि कब्र खाली क्यों थी। परमेश्वर ने उन्हें बताया कि क्या हुआ था। ईसाई धर्म भावनाओं, आवेगों या व्यक्तिगत अंतर्दृष्टि पर आधारित नहीं है। यह घटनाओं के बारे में परमेश्वर की उस व्याख्या पर विश्वास करने पर आधारित है जो हमें धर्मग्रंथों में दी गई है। वे जी उठे हैं!

”जी उठा” का अर्थ है कि मृत्यु पराजित हो गई है

पूरे इतिहास में, मृत्यु एक ऐसे तानाशाह की भाँति रही है जो मानव जाति पर भयंकर शासन बनाए रखती है। इससे कोई बच नहीं सकता। अब्राहम, इसहाक, याकूब, मूसा और दाऊद सभी ने परमेश्वर के वादे पर विश्वास किया, परन्तु मृत्यु उनमें से प्रत्येक को मिली। देर-सबेर, मृत्यु हम सभी को अंदर खींच लेती है। सवाल यह है कि हम इससे बाहर कैसे निकल सकते है?

पादरी कहते हैं की जब वे महाविद्यालय में थे, तो उनकी कक्षा में एक पालतू चूहा था, और सप्ताहांत पर वे उस चूहे को घर ले जाते थे। एक अवसर पर, चूहा उनकी लाल प्लास्टिक की खिलौने वाली बस से आकर्षित हो गया। और चारों ओर सूँघने के बाद, उसने अंदर चढ़ने का फैसला किया।

जब तक कि चूहा बस के सामने नहीं पहुँच गया – यह जबरदस्त मनोरंजन था। तब उन्हें एक समस्या हुई। चूहा आगे नहीं बढ़ पा रहा था, और उसके पास पीछे मुड़ने के लिए जगह नहीं थी। वह पूरी तरह से फंस गया था।

पादरी कहते है की उन्हें याद है कि उनके पिता कह रहे थे, “करने के लिए केवल एक ही उपाय है, बेटा। हमें बस को नष्ट करना होगा!” उन्होंने चाकू उठाया और छत को काट दिया। चूहा आज़ाद हो गया। वे कहते हैं कि मैं आपको बता नहीं सकता कि उन्हें कितनी राहत मिली। परन्तु उनकी बस कभी भी पहले जैसी नहीं रही। यह वास्तव में काफी उत्सुकतापूर्ण था; एक चमकदार लाल खिलौने वाली बस जिसकी छत खुली हुई थी! बेशक, इससे चूहे के लिए चीजें और भी दिलचस्प हो गईं थी। पहले तो चूहे के पास अंदर जाने का रास्ता था, परन्तु बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। अब वह दरवाजे से अंदर जा सकता था और छत से बाहर आ सकता था!

जब यीशु मरे, तो उन्होंने मृत्यु में एक छेद कर दिया। मसीह के लोगों के लिए, मृत्यु एक जेल नहीं है, बल्कि एक मार्ग है जो सीधे परमेश्वर की उपस्थिति में ले जाता है।

”जी उठा” का अर्थ है संपूर्ण व्यक्ति को छुटकारा मिल जाएगा

सभी धर्मों में मृत्यु के बाद जीवित रहने का कुछ न कुछ विचार है, परन्तु शरीर का पुनरुत्थान ईसाई धर्म में अनोखा है। सुसमाचार सिर्फ यह नहीं है कि यीशु जीवित हैं, बल्कि यह है कि यीशु जी उठे हैं (लूका 24:6)। यह अंतर सोचने लायक है।

मानव देह धारण करने से पहले परमेश्वर के पुत्र स्वर्ग में जीवित थे। तो फिर वे अपने क्रूस पर चढ़ाए गए शरीर को कब्र में छोड़कर पिता के पास क्यों नहीं लौट आये? आख़िरकार, यह केवल मांस और हड्डी थी। इससे क्या परेशान होना?

स्वर्गदूत फिर भी ईस्टर की सुबह प्रकट हो सकते थे और कह सकते थे, “उनका शरीर यहाँ कब्र में है, परन्तु चिंता मत करो, उनकी आत्मा स्वर्ग में पिता के साथ है।” आख़िरकार, क्या यह वही नहीं है जो हम किसी ईसाई के मरने पर अंतिम संस्कार में कहते हैं?

पुनरुत्थान हमें बताता है कि शरीर मायने रखता है। आप आत्मा और शरीर का एक अद्भुत मिलन हैं, और यीशु दुनिया में आपके एक हिस्से को बचाने के लिए नहीं बल्कि आपके पूरे हिस्से को छुड़ाने के लिए आए थे। वें आपको, जो शरीर और आत्मा है, उसे एक नई रचना के आनंद में लाने के लिए आए थे।

मृत्यु आपकी आत्मा को आपके शरीर से अलग कर देती है, और इसीलिए यह इतनी भयानक शत्रु है। यह उसे चीर कर अलग करने के सामान है जिसे परमेश्वर ने एक साथ जोड़ा है, और यह तभी पराजित होगा जब आपका शरीर और आत्मा एक नए जीवन की शक्ति में फिर से जुड़ जाएंगे।

पुनरुत्थान वाले शरीर के बारे में सबसे पहली बात जो आपको जानने की ज़रूरत है वह यह है कि यह एक शरीर है! जब मसीह शिष्यों के सामने प्रकट हुए, तो उनका पहला विचार यह था कि वे एक भूत देख रहे हैं (24:37)। परन्तु यीशु ने उनका ध्यान अपने शरीर की ओर आकर्षित किया: “मेरे हाथ और मेरे पाँव को देखो कि मैं वही हूँ। मुझे छूकर देखो, क्योंकि आत्मा के हड्डी माँस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो” (24:39)। मांस और हड्डियां! यह एक वास्तविक शरीर है!

आभासी छुट्टियाँ लेना

मान लीजिए कि आपने कश्मीर में अपने जीवन भर की सबसे ख़ास छुट्टियों की योजना बनाई है, परन्तु यात्रा पर जाने से ठीक पहले, आप सीढ़ियों से गिर जाते हैं और आपके शरीर की लगभग हर हड्डी टूट जाती है। एक बहुत ही अच्छे मजाकिया रूप में, आप अस्पताल में सिर से पैर तक पट्टी बांधे हुए हैं, और आपके मुंह से थर्मामीटर निकला हुआ है।

एक दोस्त, जो कंप्यूटर का जानकार है, आपको आभासी यात्रा पर ले जाने की पेशकश करता है। वह अपना लैपटॉप सेट करता है, और निश्चित रूप से, आप कश्मीर के अद्भुत दृश्य देखते हैं। “यह बहुत सुंदर है,” आप कहते हैं। “मैं बस यही चाहता हूँ कि काश मैं जा पाता।”

“परन्तु तुम वही हो,” आपका मित्र कहता है। “तुम वहाँ आभासी यात्रा पर आए हो।”

वह जो भी कहे, परन्तु आप जानते हैं कि जब तक आपका शरीर अस्पताल में फंसा हुआ है, आप कश्मीर नहीं गए हैं। आपके दिमाग में या इंटरनेट के माध्यम से वहाँ जाना बिल्कुल एक समान नहीं है।

परमेश्वर स्वर्ग में अपने लोगों से जिस जीवन का वादा करते हैं वह आभासी यात्रा की तरह नहीं है। यह कोई आध्यात्मिक अनुभव या दिमागी खेल नहीं है। परमेश्वर ने अपने पुत्र को आपको पूर्णता से छुटकारा दिला कर और आपके शरीर और आत्मा को अपनी उपस्थिति में लाने के लिए भेजा। सुसमाचार यह है कि मसीह जी उठे हैं, और शरीर का पुनरुत्थान वह गौरवशाली भविष्य है जो प्रत्येक ईसाई आस्तिक के सामने है।

पुनरुत्थान शरीर कैसा होगा?

जब यीशु का शरीर उठाया गया तो वह भी बदल गया। उनका शरीर अब बुढ़ापे या मृत्यु के अधीन नहीं था। उनका शरीर बदल गया और अनंत काल के लिए अनुकूलित हो गया। इसीलिए ईसाई लोग स्वर्ग की आशा कर सकते हैं।

पवित्र शास्त्र हमें पुनरुत्थान शरीर के चार विवरण देता है।

1. अविनाशी

शरीर नाशवान् दशा में बोया जाता है और अविनाशी रूप में जी उठता है। (1 कुरिन्थियों 15:42)

लाज़र मृतकों में से जी उठा, परन्तु वह कब्र से ठीक वैसे ही बाहर आया जैसे वह कब्र में गया था। वह लगातार बुढ़ापे की ओर बढ़ता गया, और एक समय पर, उस बेचारे को फिर से मरने की पूरी दयनीय स्थिति से गुजरना पड़ा! परन्तु यीशु अनंत जीवन की शक्ति में जी उठे (इब्रानियों 7:16), और आपका पुनरुत्थान शरीर, उनके जैसा, एक ऐसा शरीर होगा जो कभी नहीं मरेगा। आपका पुनर्जीवित शरीर कभी बूढ़ा नहीं होगा, यह कभी बीमार नहीं होगा, और इसका कभी पतन नहीं होगा।

2. महिमामय

वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है। (1 कुरिन्थियों 15:43)

जब पतरस याकूब और यूहन्ना यीशु के साथ पहाड़ पर गए, तो उन्हें उनकी भविष्य की महिमा का पूर्व दर्शन मिला (मरकुस 9:2-8)। उनमें एक चमक और प्रकाश था। और पुनरुत्थान वाले शरीर में आपके चारों ओर एक चमक, एक प्रकाश, एक महिमा होगी जब आप खुद मसीह की महिमा को प्रतिबिंबित करेंगे।

3. शक्तिशाली

वह निर्बलता के साथ बोया जाता है, और सामर्थ्य के साथ जी उठता है। (1 कुरिन्थियों 15:43)

आपके पुनर्जीवित शरीर में पहले से कहीं अधिक ऊर्जा, अधिक सहनशक्ति, अधिक गति, बेहतर समन्वय और अधिक क्षमता होगी!

4. आत्मिक

स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है। (1 कुरिन्थियों 15:44)

आत्मिक शरीर वह है जो पवित्र आत्मा के प्रति पूरी तरह उत्तरदायी है। हम अब यह नहीं कहेंगे, “आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है” (मत्ती 26:41)। हमारे पुनरुत्थान वाले शरीर हमारी मुक्ति प्राप्त आत्माओं की तरह परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए उतने ही उत्सुक होंगे।

नए स्वर्ग और नई पृथ्वी में आपको यही देखने की आशा करनी है: एक ऐसा शरीर जो हमेशा के लिए जीवन के अनुकूल हो जाए और कभी नष्ट न हो। एक ऐसा शरीर जो दिव्य और शक्तिशाली है। एक शरीर जो पवित्र आत्मा के प्रति पूरी तरह उत्तरदायी है।

हर किसी के तैयार होने तक प्रतीक्षा करें

पुनरुत्थान शरीर का उपहार इतना अद्भुत है कि परमेश्वर इसे उस दिन तक सुरक्षित रखेंगे जब वे अपने सभी बच्चों को एक साथ इकट्ठा न करले।

ईसाई प्रियजन जो मर चुके हैं वे यीशु के साथ हैं, सचेत रूप से उनकी उपस्थिति की महिमा का आनंद ले रहे हैं। वे यहाँ जो कुछ भी जान सकते हैं, उससे यह कहीं अधिक बेहतर है। परन्तु परमेश्वर के पास उनके और हमारे लिए एक और उपहार है जिसे वे उस दिन के लिए रख रहे हैं जब वे अपने पूरे परिवार को एक साथ इकट्ठा करेंगे।

जब मसीह वापस आएंगे, तो हमारे ईसाई प्रियजन उसके साथ आएंगे (1 थिस्सलुनीकियों 4:14)। तब “जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा” (4:16) और उनकी आत्माएं अनन्त जीवन के लिए अनुकूलित पुनर्जीवित शरीरों के साथ फिर से मिल जाएंगी।

साथ ही, जो विश्वासी अभी भी जीवित हैं, उन्हें “उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें” (4:17)। हम उसी परिवर्तन का अनुभव करेंगे जिसमें हमारे शरीर अनन्त जीवन के लिए अनुकूलित हो जायँगे।

तीसरे दिन कब्र खाली थी। यीशु मृतकों में से जी उठे। हम यह जानते हैं क्योंकि परमेश्वर ने ऐसा कहा है। जब मसीह फिर से महिमा में आएंगे और अपने सभी लोगों को इकट्ठा करेंगे, तो हमें भी पुनरुत्थान शरीर दिया जाएगा। परमेश्वर न केवल आपके एक हिस्से को, बल्कि आपके पूरे हिस्से को छुटकारा दिलाएंगे। जब आप इसे अपने मन में स्थापित कर लेंगे, तो आपको आगे आने वाली खुशियों की कहीं अधिक आशा होगी।

टिप्पणियाँ:

1. मत्ती हमें बताता है कि वे स्वर्गदूत थे (मत्ती 28:5)। लूका हमें बताता है कि वे कैसे दिखते थे।

परमेश्वर के वचन के साथ और जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।

1. क्या आपने किसी व्यक्तिगत त्रासदी का अनुभव किया है जिससे आपके लिए यीशु पर विश्वास करना कठिन हो गया हो, हालाँकि आप अभी भी उनसे प्रेम करते हैं?

2. इस परिभाषा पर प्रतिक्रिया दें: “ईसाई आस्था परमेश्वर ने जो किया है उसके स्पष्टीकरण पर विश्वास करने पर आधारित है।”

3. आपके अपने शब्दों में, लंदन डबल-डेकर बस की कहानी यह कैसे दर्शाती है कि यीशु ने अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान में क्या हासिल किया?

4. आपको क्या लगता है कि इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि यीशु का शरीर मृतकों में से जीवित हुआ था या नहीं?

5. जब आप पुनरुत्थान शरीर के बारे में सोचते हैं तो आपके सामने क्या आता है?