यदि आप एक छोटी और प्रभावशाली कहानी पढ़ना चाहते हैं जो आपको अनुग्रह के सुसमाचार को ठीक ढ़ंग से सिखा सके, तो आपको यीशु के बगल में क्रूस पर चढ़ाए गए ड़ाकू की कहानी से अच्छी कोई कहानी नहीं मिल सकती। जो कि लूका 23:39-43 व मत्ती 27:38-44 में पाई जाती है।
वास्तव में, यीशु के बगल में दो डाकूओं को क्रस पर चढ़ाया गया था। एक ने तो यीशु पर विश्वास किया और उसे उद्धार प्राप्त हुआ। किन्तु दूसरे ने उद्धार नहीं पाया। इस अध्ययन में, हम पहले ड़ाकू, अर्थात जिसने पश्चाताप किया उसकी कहानी को चार भागों में बताएंगे। (जिसे अक्सर पश्चातापी ड़ाकू के रूप में भी जाना जाता है)
1) दोनों ड़ाकूओं ने यीशु का मजाक उड़ाया
क्रूस पर चढ़ाए जाने से, संरचना के अनुसार, शरीर में से जीवन और ऊर्जा दोनों ही खत्म हो जाती है। मत्ती हमें अपने वक्तव्य में बताते हैं कि दोनों ड़ाकूओं ने यीशु का मजाक उड़ाने के लिए अपनी बची कुची थोड़ी सी साँस का प्रयोग किया (मत्ती 27:44)। उन्होंने यीशु का मज़ाक उडाने के लिए वहाँ उपस्थित धार्मिक अगुवों और अन्य दर्शकों के व्यवहार को अपनाया, जिन्होंने उनकी मृत्यु को देखा। (देखें -मत्ती 27:39-43)
यीशु को उनके द्वारा किए गए उपहास को सुनकर या दो ड़ाकूओं के बीच क्रूस पर चढ़ाए जाने पर आश्चर्य नहीं हुआ। (देखें-यशायाह 53:12) जब यीशु ने ये प्रार्थना की ‘‘हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?’’ (भजन संहिता 22:1) तब यीशु ने न केवल भजन 22 को उद्धृत किया मगर उसे पूरा भी किया। वही भजन यह भी कहता है, ‘‘वे सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठटठा करते हैं। और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं, ‘‘अपने को यहोवा के वश में कर दे वही उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उस से प्रसन्न हैं।’’ (भजन संहिता 22:7-8)
2) पश्चाताप करने वाले ड़ाकू ने अपने पाप को पहचाना
जब एक ड़ाकू ने यीशु का अपमान करते हुए कहा, ‘‘क्या तू मसीह नहीं? तो फिर अपने आप को और हमें बचा, ’’ पश्चाताप करने वाले ड़ाकू ने उसे डांटा, और कहा ‘‘क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड़ पा रहा है, और हम तो न्यायानुसार दण्ड़ पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कर्मों का ठीक फल पा रहे हैं, परन्तु इसने कोई अनुचित काम नहीं किया’’ (लूका 23:39-41)।
यह कितना आश्चर्यजनक परिवर्तन था। अब वो ड़ाकू यीशु का मजाक नहीं उड़ा रहा मगर अब वह यीशु का बचाव कर रहा था। क्या बदल गया था? हम नहीं जानते कि इस पश्चातापी ड़ाकू के अंदर परमेश्वर का भय किस पल से आरम्भ हुआ, लेकिन जब हम पवित्रशास्त्र को देखते हैं और उस पर विचार करते हैं कि उस ड़ाकू ने यीशु के साथ क्या क्या अनुभव किया, तो हमें कुछ कुछ समझ में आता है।
यूहन्ना वर्णन करता है कि यीशु उन दोनों ड़ाकुओं से पहले मर गया था (यूहन्ना 19:32-34)। इसका अर्थ यह है कि पश्चाताप करने वाले ड़ाकू ने वह सब कुछ भी देखा और सुना था जो कुछ यीशु के साथ क्रूस पर हुआ, और उसने क्या कहा। जिसमें यीशु द्वारा दी गई प्रथम पुकार भी शामिल है, ‘‘हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं’’ (लूका 23:34)। हम नहीं जानते कि ड़ाकू ने जब ये शब्द सुने तो क्या सोचा होगा, लेकिन यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि उसके दिमाग में कुछ ऐसा आया होगा, ‘‘अगर वह उस आदमी को क्षमा करने के लिए तैयार है, जिसने उसके हाथों और पैरों में कीलें ठोंकी हैं, तो शायद वह मुझे भी क्षमा करने के लिए तैयार होगा।’’ 1
3) पश्चाताप करने वाले ड़ाकू ने प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया
आंतरिक परिवर्तन के बाद, उस ड़ाकू ने कहा, ‘‘हे, यीशु, जब तू अपने राज्य में आए तो मेरी सुधि लेना।’’ (लूका 23:42)। ड़ाकू ने यह विश्वास किया कि यीशु एक असली राज्य वाला राजा था। सामान्य राजा क्रूसों पर नहीं मरते, और निश्चित रूप से मृत्यु के बाद उनका कोई राज्य नहीं होता। इसलिए, ड़ाकू ने विश्वास किया कि यह राजा एक सांसारिक राजा से बढ़कर है, वह एक उद्धारकर्ता राजा था जो उसे अपने स्वर्गीय राज्य में ले जाने में सक्षम था।
4) पश्चाताप करने वाले ड़ाकू को यीशु ने बचाया
यीशु ने पश्चाताप करने वाले ड़ाकू को सबसे अधिक उम्मीद भरे शब्दों में जवाब दिया, ‘‘मैं तुझसे सच कहता हूँ, कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा’’ (लूका 23ः43)। एक ड़ाकू जो सुबह उठकर नरक की ओर जा रहा था, उसका अनंत गंतव्य उद्धारकर्ता यीशु से एक साधारण सा निवेदन करने के द्वारा बदल गया। ‘‘यीशु, मेरी सुधि लेना’’
हमारे लिए इस कहानी का क्या अर्थ है?
सबसे पहले, यह कहानी हमें याद दिलाती है कि उद्धार परमेश्वर की ओर से एक उपहार है। पश्चाताप करने वाले ड़ाकू के पास अच्छे कर्म करने के लिए समय नहीं था। वह उन लोगों को वापस नहीं कर सकता था जिनसे उसने चोरी की थी, गरीबों की मदद नहीं कर सकता था, या बपतिष्मा नहीं ले सकता था। उसके पास उच्च कोटि का विश्वास भी नहीं
था। यदि उसके बाइबलीय ज्ञान का परीक्षण लेते तो शायद वह असफल हो जाता। इस हालात में वह विश्वास भरी नज़रों से उद्धारकर्ता की ओर देख कर केवल उससे दया की माँग कर सकता था। और उसे बस इतना ही चाहिए था।
पश्चाताप करने वाले ड़ाकू का अनुभव बाइबल की सच्चाई का एक आदर्श उदाहरण है कि उद्धार परमेश्वर के अनुग्रह का एक उपहार है जिसे हम विश्वास के माध्यम से प्राप्त करते हैं न कि कर्मों से (देखें- इफिसियों 2:8-9 तीतुस 3:5)।
दूसरा, पश्चाताप करने वाले ड़ाकू की कहानी हमें दिखाती है कि कोई भी पाप इतना बुरा नहीं है कि उसे क्षमा न किया जा सक।े पश्चाताप करने वाले ड़ाकू को उसके गलत काम के लिए पहले ही मौत की सजा सुना दी गई थी। हम उसके पाप के बारे में बस इतना ही जानते हैं कि पवित्रशास्त्र उसे ड़ाकू और अपराधी कहते हैं। संसार के अनुसार, वह ड़ाकू मृत्यु दण्ड़ दिए जाने के लायक था। किन्तु यीशु के अनुसार, ये पाप क्षमा योग्य थे। यीशु की मृत्यु हमारे सभी पापों का ऋण चुकाने के लिए पर्याप्त है (रोमियों 6:23)। पापी को सिर्फ यह करना है कि वह अपने पापों को स्वीकार करे और यीशु से क्षमा माँगे।
आखिरकार, यह कहानी हमें बताती है कि आपके लिए भी आशा है। पश्चाताप करने वाले ड़ाकू ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में यीशु मसीह पर विश्वास किया। यह इस बात का प्रमाण है कि परमेश्वर उन सभी लोगों पर अपना अनुग्रह दिखाता है और उनके पापों को क्षमा करेता है, जो उस पर विश्वास करते हैं, चाहे वे अपनी आखरी स्वांस ही क्यों ना ले रहा हों उद्धार पाऐंगे।
यह एक महिमामय सत्य है! लेकिन आप इस सत्य को जानते होंगे और सोच होगा कि, ‘‘मैं अभी अपने जीवन को अपनी तरह से जीउँगा और जब मैं बूढ़ा हो जाऊँगा तो पश्चाताप करके यीशु पर विश्वास कर लुगाँ,’’ या ‘‘मैं अपनी मृत्युशैया पर यीशु में विश्वास कर लुँगा।’’ ये दोनों ही विचार अपके अंदर की लापरवाही को उजागर करते हैं।
1) आप कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि बाद में आपको ये सब करने का अवसर मिलेगा ही? आपका ॉदय एक ही सेकंड में धड़कना बंद हो सकता है और आप नरक में जा सकते हैं।
2) यदि आप अभी नहीं चाहते हैं तो आप भविष्य के लिए कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप अपने जीवन के अंतिम दिनों में यीशु पर विश्वास कर लेंगे।?
सच्चाई तो यह है कि हम एक ड़ाकू की तरह हैं। हमने पवित्र परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है और उसके क्रोध के पात्र हैं। एक दिन हर मनुष्य को न्याय के लिए उपस्थित होना ही होगा (इब्रानियों 9:27)। हालाँकि, जैसा कि हमने ड़ाकू की कहानी में देखा, कि हर उस व्यक्ति के लिए आशा है जो विश्वास और पश्चाताप में परमेश्वर के सामने स्वंय को नम्र करता है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो यीशु खुश होकर आपसे कहेंगे, ‘‘मैं तुमसे सच कहता हूँ, तुम मेरे साथ स्वर्गलोक में रहोगे।’’
यह लेख मूल रूप से स्पेनिश में कोलिशन पोर एल इवेंजेलियो में प्रकाशित हुआ था।
1. काॅलिन स्मिथ ने इन शब्दों का सुझाव ‘‘स्वर्ग, मैं यहाँ कैसे आयारू क्रूस पर ड़ाकू की कहानी’’ नामक पुस्तक में दिया है।