मैं स्वर्ग के बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकता हूँ

कॉलिन स्मिथ

मैं स्वर्ग के बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकता हूँ? इससे अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न की कल्पना करना कठिन है। यह प्रश्न संसार के हर व्यक्ति से संबंध रखता है। बेशक हम सभी लोग अलग अलग हैं, मगर हम सभी में एक बात तो सामान्य है – जल्द या बाद में एक दिन हम सभी मर जाएँगे।

आपकी मृत्यु का दिन इस सप्ताह में, इस महीने में, इस वर्ष में आ सकता है, या फिर बहुत दूर भी हो सकता है, लेकिन इससे ज्यादा निश्चित कुछ नहीं है कि… वो दिन अवश्य आएगा। एक दिन आप सुबह जागेंगे, और चाहे आपको इसका एहसास हो या न हो, वह धरती पर आपका आखिरी दिन होगा। तब आपके साथ क्या होगा?

क्रूस पर लटके ड़ाकू की कहानी आपको बताती है कि आप स्वर्ग के बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं। हम उसकी कहानी लूका 23 में पाते हैं।

वे और दो मनुष्यों को भी जो कुकर्मी थे उसके साथ मार डालने को ले चले। जब वे उस जगह जिसे खोपड़ी कहते हैं पहुँचे, तो उन्होंने वहाँ उसे और उन कुकर्मियों को भी एक को दाहिनी और दूसरे को बाईं और क्रूसों पर चढ़ाया। (लूका 23ः32-33)

फिर हमें बताया गया है कि इन ड़ाकुओं में से एक ने कहा, ‘‘हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।’’ और उसने उससे कहा, ‘‘मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।’’ (23ः42-43)।

हमारे लिए यह सोचना स्वाभाविक है कि लोग अच्छा जीवन जीकर ही स्वर्ग में जाते हैं, लेकिन उस ड़ाकू ने कुछ अच्छे काम नहीं किए थे। वह एक अपराधी था। मरकुस के सुसमाचार में भी उसे एक ‘‘डाकू’’ के रूप में वर्णित किया गया है, और उसके अपराधों का पैमाना इतना बड़ा था कि उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।

चाहे जो भी परिस्थितियाँ रहीं हो जिनके कारण उसे यह सजा सुनाई गई थी। मगर इस व्यक्ति ने स्पष्ट रूप से अच्छा जीवन नहीं जिया था, और वो भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था। चोर ने अपनी सजा के न्याय पर वाद-विवाद नहीं किया, बल्कि उसने तो कहा, ‘‘और हम तो न्यायानुसार दण्ड़ पा रहें हैं।’’ (23ः41)।

यहाँ एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अच्छा जीवन नहीं जिया है, और उसका समय भी समाप्त हो चुका है! वह नया जीवन शुरू करने की स्थिति में नहीं है। क्योकि अब उसके हाथ और पैर क्रूस पर कीलों से ठोंके जाने के कारण वह अच्छे काम शुरू नहीं कर सकता। और फिर भी यीशु इस व्यक्ति से कहता है; ‘‘आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा!’’

यह एक अति आश्चर्यजनक बात है! यह तो व्यापक रूप से साझा की जाने वाली मानसिकता का पूरी तरह से खंडन करता है, जो कहता है, ‘‘स्वर्ग में जाना इस बात पर निर्भर करता है कि मैं अपना जीवन कैसे जीता हूँ। स्वर्ग जाने के लिए, मुझे परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त अच्छा जीवन जीना होगा।’’ उस ड़ाकू ने तो पूरे जीवन भर कोई ऐसा काम नहीं किया। तो, वह अंदर कैसे गया? यही सवाल है।

और अच्छी खबर यह है कि अगर इस व्यक्ति के लिए स्वर्ग में जाना संभव था, तो आप भी वहाँ जा सकते हैं। इस चोर की कहानी हमें यह बताती है, कि यह कैसे संभव है, और इसे तीन शब्दों में संक्षेपित किया जा सकता है।

मुड़ो, मांगो और भरोसा रखो।

1. मुड़ो 

ड़ाकू कम से कम छह घंटो तक क्रूस पर रहा, और उस दौरान यीशु के प्रति उसके व्यवहार में एक उल्लेखनीय बदलाव आया।

मत्ती हमें बताता है कि दो अपराधियों को यीशु के दोनों ओर एक-एक करके सूली पर चढ़ाया गया था। ‘‘लुटेरे’’ (बहुवचन) इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे उसकी निन्दा करते थे। (मत्ती 27ः44)।

यहाँ पर दो अपराधी हैं, और पहले तो दोनों ही यीशु को गालियाँ दे रहे थे। लेकिन फिर जब एक ने ऐसा करना जारी रखा, तो दूसरे में बदलाव आया। बाइबल इस बदलाव को पश्चाताप कहती है।

पश्चाताप का मतलब है, जैसा कि आप अपने आप को जानते हैं, जितना आप अपने पापों के वारे में जानते हैं उससे मुड़कर आप परमेश्वर के बारे में जानकर उतना ही बदल जाते हैं।

इसलिए समय के साथ पश्चाताप गहरा होता जाता है। आप जितना ज्यादा परमेश्वर के बारे में सीखते जाते हैं, और जितना ज्यादा खुद को खोजते हैं, और जितना ज्यादा आप पाप को समझते हैं, उतना ही आपका पश्चाताप गहरा होता जाता है। लेकिन हर प्रक्रिया की एक शुरुआत होती है, और इस ड़ाकू की कहानी हमें दिखाती है कि पश्चाताप कहाँ से शुरू होता है।

आप परमेश्वर से डरना आरम्भ करते हैं।

वो ड़ाकू यीशु को गालियाँ दे रहा था, लेकिन जब उसने सोचा कि आगे क्या होने वाला है, तो उसकी आत्मा में ठहराव सा छा गया। मैं परमेश्वर के विरूध क्यों लड़ रहा हूँ? इसका क्या मतलब है जब मैं जल्द ही उसके सामने खड़ा होकर अपने जीवन का हिसाब दूँगा?

यीशु को गाली देना जारी रखने वाले दूसरे ड़ाकू की ओर मुड़ते हुए, उसने कहा, ‘‘क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है।’’ (लूका 23ः40)

क्रूस पर लटके ड़ाकू को परमेश्वर के बारे में कुछ ज्ञान था, लेकिन उसने अपने जीवन में कभी परमेश्वर को महत्व नहीं दिया था। यदि उसने दिया होता, तो वह ड़ाकू नहीं बनता। इसके बजाय, उसने परमेश्वर के दावों को अपने जीवन से दूर धकेल दिया था। वह अपने ही रास्ते पर चलता चला गया। और जितना वह परमेश्वर से दूर होता गया, उतना ही उसका विवेक उसे परेशान करता गया।

लेकिन अब वह अनन्त काल के कगार पर था, और परमेश्वर के सामने खड़े होने का डर उसे जकड़ रहा था। परमेश्वर का भय मानना, उसकी ओर मुड़ने की शुरुआत है और यह यीशु मसीह को अपने राजा के रूप में पहचानने की ओर ले जाता है।

आप मसीह को राजा के रूप में पहचानते हैं!

यीशु की ओर मुड़ते हुए, ड़ाकू ने कहा, ‘‘जब तू अपने राज्य में आऐ, तो मेरी सुधि लेना।’’ (लूका 23ः42)।

ड़ाकू ने पहचान लिया कि यीशु एक राजा है। अगर वह एक राजा है और वह मृत्यु की ओर जा रहा है, तो शायद जब वह दूसरी तरफ पहुंचे, तो वह मेरी मदद करने के लिए कुछ कर सके।

जो व्यक्ति पहचानता है कि वह एक राजा है, यीशु उससे कहते हैं, ‘‘तू आज ही मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।’’ (लूका 23ः43)।

आप स्वर्ग के बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं? मुड़ें! परमेश्वर का भय मानें और अपने आप को यीशु मसीह के सामने अपने राजा के रूप में समर्पित करो।

2. मांगें

ड़ाकू ने मांगा, ‘‘हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए तो मेरी सुधि लेना।’’ (लूका 23ः42)। यह एक दुस्साहसिक अनुरोध था। कुछ क्षण पहले, वह दूसरे चोर के साथ मिलकर यीशु पर श्राप बरसा रहा था। यदि यीशु ने अपने राज्य में आने पर यह बात याद रखी होती, तो उस ड़ाकू का अंत हो जाता। इसलिए ड़ाकू ने मांगा।

माँगने का मतलब है कि आप धर्मी होने का दिखावा न करें

उसने यह नहीं कहा, ‘‘मुझे पता है कि मैंने कुछ गलतियाँ की हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति सिद्ध नहीं है, और मैंने अपने जीवन में बहुत सारे अच्छे काम किए हैं।’’ इसके बजाय उसने कहा, ‘‘और हम तो न्यायानुसार दण्ड़ पा रहे हैं।’’ (लूका 23ः41)।

इस व्यक्ति ने ईमानदारी और विनम्रता के साथ मसीह से माँगा। उसने इस तथ्य को स्वीकार किया कि वह एक पापी था। उसने परमेश्वर और सभी मनुष्यों के विरुद्ध पाप किया था। और हम भी उसके जैसे हैं। हम वह सब करने में असफल रहे हैं, जिसे करने के लिए परमेश्वर ने हमें बुलाया था, और हमने वह किया है, जो उसने हमें न करने के लिए कहा था।

हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सामने पापी हैं। और यही कारण है कि यीशु क्रूस पर चढ़ गए, जहाँ वे बलिदान हुए और पापियों के लिए प्रायश्चित बन गए। ‘‘यहोवा ने हम सब के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया’’ (यशायाह 53ः6)। यीशु ने अपनी मृत्यु में पाप उठाए, ताकि आपको उन्हें अपनी मृत्यु में न उठाना पड़े।

माँगने का मतलब यह नहीं है कि आप कोई सौदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

हमें माँगना पसंद नहीं है। हम इसके बजाय सौदे करना पसंद करते हैं। और हम जो पेश करना चाहते हैं, उसके आधार पर आगे बढ़ना पसंद करते हैं; ‘‘यहाँ कुछ ऐसा है जो मैं आपके लिए कर सकता हूँ। और मैं चाहता हूँ कि आप इसके बदले मेरे लिए यह करो।’’

लेकिन इस समय ड़ाकू के पास यीशु को देने के लिए कुछ भी नहीं था। वह खाली हाथ था। वह बस एक भिखारी की तरह यीशु की ओर मुड़ सकता था और माँग सकता था। और उसने वही किया।

यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब भी परमेश्वर की बात सामने आती है तो हमारी पहली प्रवृत्ति है कि हम एक सौदे के बारे में सोचने लगते हैं। अगर मैं प्रार्थना करता हूँ… अगर मैं गिरजाघर जाता हूँ… अगर मैं दान देता हूँ… अगर मैं एक अच्छा जीवन जीता हूँ… तो परमेश्वर मुझे स्वर्ग में ले जाएँगे।

लेकिन अगर आप इस तरह की विचारधारा के साथ परमेश्वर के पास आते हैं तो मालूम है क्या होता है? सबसे पहले, आप जीवन भर यह महसूस करते रहे कि परमेश्वर आपके ऋणी है, और दूसरा, आप अपना भविष्य एक ऐसे सौदे पर लटका देते हैं जिसका कोई वजूद ही नहीं है, क्योंकि परमेश्वर कोई सौदे नहीं करते।

माँगने का मतलब है कि आप खाली हाथ यीशु के पास आते हैं, यह जानते हुए कि ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आप उसको दे सकें। आप बस माँग सकते हैं। और माँगने में, आप खुद को उनकी दया पर छोड़े हैं और अनुग्रह के लिए उनकी ओर देखते हैं।

ड़ाकू ने जो किया वह भ्रामक रूप से सरल था। वह परमेश्वर का भय मानना शुरू किया। उसने अपनी पापी स्थिति को पहचाना। उसने यीशु से उसे बचाने के लिए कहा, उस पर राजा के रूप में विश्वास किया, और बाकी सब उसके हाथों में छोड़ दिया।

3. भरोसा

कल्पना करें कि आपको दिल की गंभीर बीमारी है और आपको अपने दिल का ऑपरेशन करवाना है। आप ड़ाॅक्टर के पास जाते हैं और वह कहता है, ‘‘पहले, मैं आपको बेहोश करूंगाँ, और फिर मैं एक धारदार चाकू लेकर आपको चीर दूंगा’’

डाॅक्टर अपने इस भयानक विवरण में बताता है कि वह क्रमबध तरीके से क्या करने जा रहा है, और फिर वह आपको कुछ कागज थमाता है और कहता है, ‘‘ये कुछ कागज हैं आप इन पर अपने हस्ताक्षर कर दें। और एक बार जब मुझे आपकी अनुमति मिल जाती है, तो मैं अपनी प्रक्रिया आरम्भ करूंगा।’’

लोग इन कागजों पर हस्ताक्षर करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि डाॅक्टर उनके लिए कुछ ऐसा कर सकता है जो वे खुद नहीं कर सकते, और अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो उनके पास कोई और उम्मीद नहीं है। इसलिए वे खुद को पूरी तरह से डाॅक्टर के हाथों में सौंप देते हैं; ‘‘करो। मैं तुम पर भरोसा करता हूँ।’’

उसी तरह, ड़ाकू ने खुद को यीशु के हाथों में सौंप दिया, और जो व्यक्ति उस पर भरोसा करता है, यीशु उससे कहते हैं, ‘‘तुम मेरे साथ स्वर्गलोक में होंगे।’’ यह हर उस व्यक्ति से उद्धारकर्ता का वादा है जो उस पर भरोसा करता है।

यदि आप यीशु की ओर मुड़ते हैं और उससे अपने उद्धार के लिए कहते हैं, तो आपके पास क्या है? आपके पास उसका वचन है। आपके पास उसका वादा है। यीशु कहते हैं, ‘‘जो कोई मेरे पास आएगा, उसे मैं कभी न निकालूँगा’’ (यूहन्ना 6ः37)। इसलिए उसके पास आओ, उससे माँगो, और उसके वचन पर विश्वास करो।

भरे अंधकार में उस पर भरोसा करें।

ड़ाकू द्वारा यीशु पर भरोसा करने के तुरंत बाद, ‘‘पूरे देश में अंधकार छा गया… 23ः44)। यह अंधकार दिन के मध्य में आया और तीन घंटे तक रहा।

खुद को उस ड़ाकू की जगह रखकर देखें। आपने अभी-अभी अपना जीवन और स्वर्ग की आशा यीशु पर छोड़ी है। फिर आप अंधकार में डूब जाते हैं, और आप यीशु को चिल्लाते हुए सुनते हैं, ‘‘हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?’’ (मत्ती 27ः46)।

ड़ाकू ने सोचा होगा, आखिर ये सब क्या हो रहा है?

अगर आप यीशु मसीह पर भरोसा करते हैं, तो आपके जीवन में ऐसे समय आ सकते हैं जब आप घोर अंधकार का अनुभव करेंगे। जब ऐसा हो तो हैरान न हों। आप यीशु के वादे पर अंधकार में भी उतना ही भरोसा कर सकते हैं जितना कि प्रकाश में करते हैं।

दर्द में भरोसा करना

जो कोई भी यह सुझाव देता है कि यीशु पर भरोसा करने से दर्द-मुक्त जीवन मिलेगा, तो वास्तव में वह व्यक्ति बाइबल की कही गई बातों को नहीं मानता। यीशु पर भरोसा करने के बाद ड़ाकू ने जो दर्द महसूस किया, उसके बारे में सोचें। सूली पर चढ़ने का दर्द हर घंटे बढ़ता गया, जैसे-जैसे हाथों और पैरों में घाव बढ़ते गए, और शरीर में बुखार बढ़ता गया। इसलिए यीशु पर भरोसा करने के बाद ड़ाकू को पहले से ज्यादा शारीरिक दर्द का अनुभव हुआ!

आपको अंधेरे में यीशु पर भरोसा करना होगा, और ऐसे समय आ सकते हैं जब आपको दर्द में भी उस पर भरोसा करना पड़े।

मृत्यु में भरोसा

जब आपके लिए मृत्यु का क्षण आऐगा तो, जैसा कि चोर ने किया था, वैसे ही आपको भी यीशु पर भरोसा करना होगा।

कुछ साल पहले, एक बुजुर्ग पादरी गंभीर रूप से बीमार थे, और उनके पास जीने के लिए ज्यादा समय नहीं था। एक साथी पादरी उनसे मिलने गया, और सीधे मुद्दे पर आते हुए कहा, ‘‘मैं आपको यह बताने आया हूँ कि कैसे मरना है। अपने मसीही जीवन के बारे में भूल जाओ।’’

‘‘मेरे मसीही जीवन के बारे में भी भूल जाऊँ? सच में?

‘‘हाँ। सच में। क्योंकि इसके कुछ कारण हैं; यदि आप वहाँ लेटे हुए सोचते हैं कि आपने यीशु के लिए क्या किया है, जल्द ही आप यह देखना शुरू कर देंगे कि आपने यीशु के लिए क्या नहीं किया, आप यीशु के लिए क्या कर सकते थे, और आप यीशु के लिए क्या बेहतर कर सकते थे। और अगर आप ऐसा करते हैं, तो जल्द ही आप खुद को संदेह और भय से घिरा हुआ पाएंगे।’’

‘‘तो, मुझे क्या करना चाहिए?’’

‘‘आपने यीशु के लिए जो किया है, उसे भूल जाइए और अपनी आँखें पूरी तरह से इस बात पर टिकाइए कि यीशु ने आपके लिए क्या किया है।

मरने का तरीका ही जीने का तरीका है। भूल जाइए कि आपने यीशु के लिए क्या किया है या क्या करने में असफल रहे हैं और पूरी तरह से यीशु ने आपके लिए क्रूस पर जो किया है, उस पर भरोसा करें।

आज वो ड़ाकू स्वर्ग में है और इसका कारण यह नहीं है कि वह पाप रहित था या उसने एक अच्छा जीवन जिया। ड़ाकू स्वर्ग में है क्योंकि यीशु ने उसके पापों की कीमत चुकाई और उसे एक नया और अनंत जीवन दिया। यीशु ने चोर के लिए जो किया, वह आपके लिए भी कर सकता है।

अंतर

लेकिन याद रखें कि क्रूसों पर दो ड़ाकू थेे, उनमें से एक बच गया, जबकि दूसरा खत्म हो गया। उन दोनों की जरूरतें एक जैसी थीं, और उन दोनों के पास एक जैसा अवसर था। वे दोनों यीशु की बगल में थे। दोनों ने यीशु को प्रार्थना करते हुए सुना, ‘‘हे पिता, उन्हें क्षमा कर, वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।’’

लेकिन यहाँ अंतर था; जहाँ एक पश्चाताप और विश्वास में यीशु की ओर मुड़ा, वहीं दूसरा दूर रहा।

आप सोच रहे होंगे, मैं अभी कोई निर्णय नहीं लेना चाहता। मैं समय लेकर सोचना चाहता हूँ।

यदि आप यह चुनाव करते हैं, तो दो में से एक बात घटित होगी; या तो आप पश्चाताप करेंगे और सोचेंगे कि काश आप पहले आ गए होते, या आपका हृदय यीशु के प्रति कठोर हो जाएगा, और आप कभी भी उनके पास नहीं आएँगे। इसलिए अभी विश्वास और पश्चाताप में यीशु के पास आएँ।

या शायद आपको डर है कि आपको उसकी ओर मुड़ने में बहुत देर हो चुकी है। क्रूस पर चढ़े ड़ाकू को याद करें। उसके लिए बहुत देर नहीं हुई थी और आपके लिए भी बहुत देर नहीं हुई है। आपके लिए यीशु की ओर मुड़ने, यीशु से माँगने और यीशु पर भरोसा करने का समय अभी है। जल्दी करना देर से करने से बेहतर है, लेकिन देर से करना कभी न करने से बेहतर है।

यहाँ एक प्रार्थना है जिसका आप उपयोग कर सकते हैं;

प्रभु, मैं स्वीकार करता हूँ कि मैं एक पापी हूँ और मैं आपके स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य नहीं हूँ, लेकिन मुझे विश्वास है कि आप राजा हैं और आपने मेरे लिए क्रूस पर अपनी जान दे दी, इसलिए मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप मुझे याद रखें और मुझे अपने राज्य में लाएँ, और मुझे आपके वादे पर भरोसा है कि जो लोग आपके पास आते हैं उन्हें कभी भी बाहर नहीं निकाला जाएगा।
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